फिर नमीता मेरे लंड को मसलते हुए बोली, लेकिन अभी चुदाई में मजा नहीं आयेगा, मेरी बहन लंच के बाद टीवी देखते हुए २-३ घंटे के लिए सो जाती है और उस समय हमलोग मस्ती कर सकते है. मैंने पुचा कैसी मस्ती? नमीता मुस्कुरा कर बोले, "है, इतने भोले मत बनो संजय, मेरी चूत में आग लगा कर पूछते हो क़ी कैसी मस्ती? अरे मस्ती का मतलब जब मेरी बहन लंच के बाद सो जायेगी तो तुम अपने मस्त लंड से मेरी चूत चोदना, अब समझे मेरे चोदु रजा?"
मै उसकी इस तरह क़ी खुलाम खुल्ला बात सुन कर और गरमा गया और उसकी चूंची को ब्लौसे के बहार निकल कर उनकी घुन्दी को चूसने लगा और नमीता भी मेरे लंड को मेरे पंट से निकलने के लिए मेरी पंट का जिप खोला और underwear से लंड को बहार निकला ७.५ इंच का मोटा लंड फुफकारते हुए स्प्रिंग क़ी तरह बहार आ गया.. नमीता के मुंह से निकला..राम कितना लम्बा.. बाप रे.. तुम्हारा लंड तो मेरी चूत फाड़ डालेगा.. मै मार जाउंगी रजा, मैंने कहा डरो नहीं मै तुम्हे बहुत प्यार से चोदुंगा, वैसे भी निराज तो तुम्हे चोदता है न, इस्लियिए ज्यादा तकलीफ नहीं होगी, उसने कहा उसका लंड तो इसके सामने पेंसिल का टुकड़ा है.
वो तो ठीक से खड़ा भी नहीं होता, और अन्दर जाने से पहले ही दो बूँद रस निकलकर मुरझा जाता है.ये कहा कर नमीता ने मेरे लंड को दोनों हाथों से जोर जोर से मसलने लगी. तभी हमें बहार का दरवाजा खुलने क़ी आवाज़ आयी, उसकी बहन दुकान से सामान ले कर वापस आ गयी थी. हम लोगो ने जल्दी से अपने कपडे ठीक थक कर ड्राविंग रूम में जा कर बैठ गए और नॉर्मली बातें करने लगे. नमीता कितचेन में जाकर चिल्ली चिक्केन और रोटी ले आयी और हम तीनो लोग टीवी देखते हुए लंच लेने लगे.उसकी बहन ने पूंछा क़ी ये कौन है , तो नमीता ने कहा ये तेरे जीजा के बहुत करीबी दोस्त है और ऑफिस के काम से आये है.
अभी खाना खा कर ऑफिस चले जायेंगे. लंच के बाद में नमीता ने आंख मार कर मुझसे पुचा क़ी, "क्या आप अब ऑफिस वापस जायेंगे?" मैंने नमीता को लंच के धन्यवाद् दिया और आंख मार कहा, "हाँ मै अब ऑफिस वापस जाऊंगा."
नमीता मुझको बहार के दरवाजे तक छोड़ने आयी और नज़र बचा कर मेरे लंड को सहलाते हुए कहा, "तुम १०-१५ मिनुतेस के बाद वापस घर आ जाओ, तबतक मेरी बहन सो जायेगी. मै दरवाजा खुला रखूंगी और तुम चुप चाप चले आना." मै नमीता के घर से बहार जा कर उसकी कालोनी के बहार तक गया और एक पान वाले से पान खाया और एक मीठा पान नमीता के लिए लेलिया. फिर करीब १५ -२०मिनुतेस के बाद मै नमीता के घर गया. बहार का दरवाजा खुला ही था और मै चुप चाप उसके घर में घुस गया और दरवाजा धीरे से बंद कर दिया. नमीता सामने ही थी वो मेरे पास आयी और धीरे से बोले, "please १० मिनुतेस और इन्तेजार करो, मेरी बहन अभी अभी सोयी है." मैंने नमीता को मीठा पान अपने हाटों से खिला दिया.
फिर नमीता करीब १० मिनुतेस के बाद मेरे पास आयी और दोनों कमरों के बीच का दरवाजा धीरे से बंद कर दिया. जैसे ही नमीता ने दरवाजा बंद किया मै उसके पास पहुँच गया और उसको अपने बाँहों में पीछे से भर लिया. नमीता भी हमसे लिपट गयी और मुंह घुमा कर मेरे होंटो को चूमने लगी. मै भी उसको जोर से लिपट लिया और उसकी मखमली होंटो को चूमने लगा. फिर मैंने धीरे से हाथ बाधा कर उसकी गोल गोल तहस चूंची को अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे मसलने लगा. नमीता चूंची मसले से ओह! ओह! करने लगी और मेरा लंड को पंट के ऊपर से पकड़ कर सहलाने लगी...
मै अब अपना हाथ उसके ब्लौसे के अंडर ले गया और उसकी नुकेली घुन्दी (निप्पल) को अपने उंगली के बीत्च ले कर मसलने लगा. मैंने अब नमीता के ब्लौसे को खोल दिया और उसकी बूब्स को उसकी ब्रा के उप्पेर से दबाने लगा. नमीता मुझसे लिपटे हुए बोली, "और जोर जोर से मेरी बूब्स को मसालों, बहुत मज़ा अ रहा है. तुम्हारे हाथ में जादू है, तुम मेरी बूब्स को दबा रहे हो और मेरी चूत पानी छोर रही है." मै उसकी ब्रा का हूक्क्स खोलते हुए कहा, "अभी तुमने मेरा हाथ का जादू ही देखा है, मै अभी तुमको अपना लोरे का जादू भी दिकाहुंगा," और मै उसकी एक चूंची मेरे मुंह में भर कर चूसने लगा. नमीता मेरे से अपनी बूब्स चुसवा कर बहुत गरमा गयी और जोर जोर से बर्बराने लगी, "है सम और जोर से मेरी बूब्स मसालों, इनको खूब दबाओ, दबा दबाके इनका सारा रस पिजाऊ....
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