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Sunday, 10 February 2013

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खोली में मदहोशी-Room Sexy Story-1


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बहु तुमने क्या साफ़ की?"

"
धीरे बोलिए पिताजी,चुन्नू सुन लेगा. पूरी हजामत कर दी, एक बाल नहीं छोड़ा." ऐसा फुसफुसा कर सुनीता कमरे के कोने में खेलते हुए अपने बेटे चुन्नू को पढ़ाने लगी.
एक कमरे की खोली में रहते धावले परिवार के सदस्य किसी तरहं जीवन निर्वाह कर रहे थे. किशोर धावले दफ्तर में पियोन का काम करता था और रात को अक्सर शराब के नशे में आता था. उस रात भी वह नशे में धुत आया और खाना खा कर फर्श पर बिछे बिस्तर पर ढेर हो गया. किशोर के पिता साथ रखी खटाई पर लेट गए. सुनीता बत्ती बुझा पति और बच्चे के साथ सो गई.
खिड़की से आती बिजली के खम्बे की रौशनी कमरे को उजागर कर रही थी. सुनीता और उसके ससुर जगे हुए एक दुसरे को देख रहे थे. खटाई की ऊंचाई पर ससुर करवट लिए अपने पजामे से ढके गुप्तांग सहला रहे थे. फर्श पर पुत्र और पोते के साथ लेटी सुनीता से धीमी आवाज़ में पूछा, "अब तो दिखा दो बहु."
सुनीता ने आहिस्ता से अपना साड़ी पेटीकोट उठाया और गोश्तदार जांघें फैला दी. पैंटी तो पहनी ही नहीं थी. बेशर्म बहु अपनी नंगी बुर ससुर को दिखाने लगी. खाट पर लेटे ससुर ने तुरंत अपना पजामा खोल दिया और अपने पांच- इंच खड़े हुए लिंग को हिलाने लगे. सुनीता ने अपनी चूत के सारे बाल ससुर के आदेश पर दोपहर में शेव कर दिए थे. फैली हुई मांसल जाँघों के बीच से झांकती सफा-चट योनी ससुर के बुढ़ापे को जवान कर रही थी. ससुर खाट से उठ कर फर्श पर गए.
"पिताजी थोड़ी देर और रुकिए, चुन्नू कहीं जग जाए. ये तो खर्राटे मार कर सो रहे हैं पर चुन्नू की नींद अभी कच्ची है." सुनीता धीरे से बोली. सुनीता चूत की फांकें खोल गीली सुराख़ प्रदर्शित कर रही थी. पायल उसके सुन्दर पैरों पर खनक रही थी. बुर दिखाती सुनीता ससुर के उठे लंड को निहारते हुए लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी. बहु के गुप्तांग पे ससुर का पूरा ध्यान केन्द्रित था.

"आइये पिता जी, आज मुझ पर उलटे चढिये." सुनीता ने साड़ी-पेटीकोट पेट के ऊपर खींच कर अपना निचला बदन पूर्णतया नग्न कर दिया. ससुर ने अपना पजामा उतार कर सुनीता के मुख पर अपना लौड़ा सिधाया और उस पर उलटे लेट गए. फिर उसकी मांसल जांघों के बीच अपना मुख धर दिया. 69 मुद्रा में सुनीता अपने ससुर की लुल्ली चूसने लगी और ससुर अपनी बहु की चूत लपक-लपक कर चाटने लगे. किशोर और चुन्नू साथ गहरी नींद में सो रहे थे.
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बहु झांटों के बिना युवा लड़की जैसी बुर लग रही है तुम्हारी." चाटना रोक कर ससुर मुड कर फुसफुसाए."आह...आह... आप ही के लिए गंजी करी है पिताजी. चुपचाप चाटिये, कहीं ये दोनों उठ जाएँ ... आह... आह..." सुनीता ससुर के कठोर लौड़े की चुस्की लेते हुए मतवाली हो रही थी.

किशोर धावले खांसने लगा, " सुनीता पानी पिलाओ." खांसते खांसते लेटा हुआ किशोर उठ कर बैठ गया. अब तक ससुर तेज़ी से उठ खाट पर वापस लेट गय थे और अपने बेकपड़ा बदन को चादर से ढक लिया था."देखो तुम्हारी साड़ी घुटनों के ऊपर तक चढ़ी हुई है, बाबा देखेंगे तो क्या कहेंगे." किशोर पत्नी की उजागर निचली काया देख बोला. वह कुछ पल पहले हो रही रतिक्रिया से बेखबर था.सुनीता सोने का नाटक करते हुए बोली, "सॉरी चुन्नू के बाबा, साड़ी सोते हुए उठ गई होगी, मैं आपके लिए पानी लाती हूँ.""नहीं रुको सुनीता, देखो बाबा सो रहे हैं क्या?""हाँ, सो रहे हैं."किशोर पत्नी की ओर आया और उसकी साड़ी पूरी ऊपर चढ़ा दी. "अरे तुमने पैंटी नहीं पहनी हुई!""भूल गई होंगी." किशोर धावले ने पत्नी की टांगें फैलाईं और स्वयं झुक कर बुर के सम्मुख हो गय. "अरे तुमने यहाँ मेरा रेज़र चलाया, बहुत चिकनी लग रही हो." किशोर सुनीता की मांसल रानों के बीच लेट कर पत्नी की चूत चाटने लगे, "बड़ी गीली हो, क्या बात है.""अब गीली तो हूँगी ही, आप महीनों तक मेरे साथ कुछ नहीं करते तो रात को मेरा निजी भाग रिसता है. आप की जीभ बहुत अच्छी लग रही है." सुनीता ने ससुर की राल में लेप गीली बुर का कारण होशियारी से छिपा लिया. पति के सर को अपनी योनी में समाए हुए किशोर के बालों को पकड़ सुनीता उसके चेहरे को अपने बालहीन योनिमार्ग पर रगड़ रही थी. खटिया पर लेटे ससुर छिप कर अपने बेटे और बहु की यौन क्रिया देख रहे थे. क्योंकि किशोर का चेहरा जाँघों के बीच के अँधेरे में लिप्त था, ससुर मौका देख सुनीता के उठे हुए पाजेब पहने पैरों को कोमलता से छू रहे थे. काम-क्रिया में मस्त हुई सुनीता ससुर से आँखें मिला मुस्करा रही थी. पुत्र से चूत चटवाती बहु को देख ससुर धीमे-धीमे हस्त मैथुन कर रहे थे
किशोर अनजान था की जो कामुक रस वह चपड़-चपड़ उत्सुकतापूर्वक ग्रहण कर रहा था वह उसके पिता का झूटन था. बस चुन्नू ही धावले परिवार की खोली का इकलौता सदस्य था जो वास्तव में सो रहा था."आई दादा के पेट के ऊपर क्यों बैठी हो?" नादान चुन्नू ने ससुर के ऊपर चढ़ी हुई अपनी माँ से जिज्ञासा पूर्वक पूछा. नाइटी पहनी सुनीता लेटे हुए ससुर की सवारी कर रही थी. चुदासी बहु ऊपर-नीचे, आगे-पीछे होते हुए ससुर का लंड निगल रही थी.

"चुन्नू मैंने कितनी बार तुम्हें कहा है, तुम टी.वी. पर कार्टून देखो और मुझे परेशान मत करो." भारी साँसें लेती सुनीता ने चुन्नू को फटकारा. नाइटी पहनी सुनीता अपने ससुर के ऊपर बैठ कर चुदवा रही थी. नाइटी ने खुद के बदन को ढका हुआ था और नीचे लेटे ससुर की इज्ज़त भी बरक़रार थी. नाइटी के अन्दर जो चल रहा था वह चुन्नू नहीं देख सकता था.
गुसलखाने से बहते पानी के बंद होने की आवाज़ आई. सम्भोग करती सुनीता तुरंत उठ खड़ी हुई और अपनी नाइटी गिरा दी. चूत के रसों में भीगा हुआ ससुर का खड़ा लंड स्पंदन करने लगा. ससुर भी झट से खड़े हो गए, लौड़ा संभाला और पायजामा बांधने लगे. गुसलखाने से किशोर धावले बाहर आया और सब साधारण पाया - सुनीता चाय बना रही थी, पिताजी अखबार पढ़ रहे थे और चुन्नू कार्टून देख रहा था. सुनीता और उसके ससुर ऐसे ही समय चुरा के कामुक खेल खेलते थे.
"
आइये पिताजी, ये कपड़े सुखाने बाहर गए हैं." सुनीता शौचालय में गई और नाइटी चढ़ा कर नाली पर बैठ गई. सुनीता का सुडौल गोश्तदार बदन, मोटी-मोटी चिकनी जांघें, खरबूज जैसे भारी नितम्ब और बीच में बच्चे दानी के छेद को ससुर घूरने लगे. मादक योनी मुंडी हुई पंखुड़ियों से ढकी थी. सुनीता पेशाब करने लगी. ससुर मूतती बहु के सामने जा बैठे और अपना हात गरम बहती मूत्र धार में धोने लगे.शौचघर के खुले दरवाज़े की दहलीज पर बैठे ससुर प्रसन्न थे. बहु के ताज़े प्रवाह में अपना हात गीला करते हुए बोले, "बहु तुम मूत्रत्याग करते हुए अत्यंत कामोत्तेजक दिखती हो, मन करता है तुम्हारी मूत की बौछार में स्नान कर लूँ.""आइये पिताजी, नीचे मुंह रखिये, मैं आपके मुख पर पेशाब करती हूँ." ससुर ने यह सुन शीघ्रता से अपने चेहरे को नाली और बहु की चूत के बीच में धर दिया.मूत्र के कसैले स्वाद को चखते हुस ससुर का सर पूरा भीग गया था. सुनीता की फूली हुई चिकनी चूत से बहते पीले पेशाब की बॉस ससुर को और उत्तेजित कर रही थी. बहु की मूत की बरसात में नहा कर ससुर तृप्त हो गए थे. "पिताजी साफ़ कर लीजिये, ये आते ही होंगे." सुनीता उठ खड़ी हुई. पखाने की नाली पर विश्राम करते ससुर ने मग्गे में पानी लिया और अपना शीश धो लिया."बाबा आप सुबह तो नहाए थे अभी फिर क्यों?" किशोर धावले खोली में जब वापस आया तो पिता के गीले बाल देख हैरान हुआ."बेटे, बहुत पसीना रहा था तो सोचा नहा लूँ." सर पोंछते हुए किशोर के पिता ने सफ़ाई दी."पापा, पापा, आई भी दादा के साथ बाथरूम में थीं." चुन्नू ने भोलेपन अपनी पतिलंघन माँ का राज़ खोल दिया."पिताजी तौलिया भूल गए थे वही देने गई थी, ये चुन्नू तो कुछ भी बोल देता है." सुनीता ने बात संभाली और चुन्नू को डांटा.इतवार को किशोर धावले की छुट्टी थी और वह परिवार के साथ टी.वी. देख रहा था. छुट्टी वाले दिन किशोर सुबह से ही शराब पीना शुरू कर देता था. दोपहर होते-होते किशोर इतने नशे में था की ज़मीन पर बिछे गद्दे बेहोश हो सो गया. चुन्नू बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था. यह अवसर पाते ही ससुर सुनीता के साथ जा बैठे और चिपट कर चूमने लगे. सुनीता भी उत्सुकता से चुम्बन का उत्तर देने लगी. ससुर-बहु की जबानें लड़ने लगीं."बहु स्तनपान कराओ." ससुर सुनीता का वक्षस्थल निहारते हुए बोले. सुनीता ने हँसते हुए अपने ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्रा चढ़ा के अपने दोनों मम्मे मुक्त कर दिए.
ससुर बहु की गोद में लेट गए और चूचुक के आस-पास अपनी जिव्हा घुमाने लगे. फिरनिपल अपने मुंह में ले चूसने लगे. सुनीता के कड़े उठे हुए उत्तेजित स्तनाग्र को लप-लप चाटने लगे. मम्मे चूसते हुए कामोत्तेजित ससुर पायजामा  खोलअपने लिंग की मुठ्ठ मारने लगे.
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मुझे दीजिये पिताजी, मैं सहला देती हूँ." बहु नेससुर का पांच-इंच खड़ा लौड़ा अपने नियंत्रण में ले लिया. सुनीता की चूड़ियाँ हस्तमैथुन करते हुए छन-छन बज रही थीं. ससुर का मोटा कठोर लंड बहु की कोमल मुठ्ठी में लुका-छुपी खेल रहा था.किशोर धावले बगल में बेहोश पड़ा था. सुनीता ने ससुर के लंड की मालिश की गति बढादी, कुछ जी देर में लौड़ा थरथराया और वीर्ये का फव्वारा निकाल दिया. थोडास्खलित वीर्ये साथ में सोते किशोर के कपड़ों पर गिरा. सुनीता ने हात में चिपके द्रव्य को चाट लिया और ब्रा नीचे कर ब्लाउज के हुक बंद करने लगी. ससुरने पायजामा चढ़ाया और अपनी खाट पर बैठ टी.वी. देखने लगे."बहु किशोर चला गया है, अब थोड़े सुविधापूर्ण लिबास में जाओ." ससुर ने सुनीता को सुझाव दिया. किशोर के दफ्तर जाते ही सुनीता अपनी साड़ी उतार देती थी और ससुर के सामने ब्लाउज़-पेटीकोट पहने रहती थी. चुन्नू को समझाया हुआ था की उसकी आई गरमी के कारण इन अंदरूनी वस्त्रों में घर का काम करती थी. आज भी उसने ऐसा ही किया.
ससुर ने विस्मित होकर धीरे से कहा, "बहु, आज तुमने जांघिया नहीं उतारा?" "क्षमा कीजिये पिताजी, एक-दम भूल गई!" सुनीता चूड़ियाँ खनखनाते हुए पेटीकोट के अन्दर पहुँची और अपनी पैंटी उतार के अल्मारी में तह कर के रख दी. फिर शीशे के सामने जा कर होठों पर लिपस्टिक और माथे पर बिंदिया सजाई."अब आओ तुम्हार पैरों के नाखूनों पर नेल-पॉलिश लगा दूँ." ससुर ने लाल नेल-पॉलिश बहु को दिखाते हुए बुलाया.सुसज्जित सुनीता शरारती मुस्कुराहट देते हुए ससुर के सामने कुर्सी रख कर बैठ गई. उसने टी.वी. देखते चुन्नू की ओर अपनी पीठ कर दी और फर्श पर बैठे ससुर की गोद में अपना पैर रख दिया.आई, दादा क्या कर रहे हैं?" उत्सुक चुन्नू ने मुड़ कर पूछा."दादा आई के पैर के नाखूनों में नेल-पॉलिश लगा रहे हैं." सुनीता ने अपने पुत्र को अनसुना किया और पेटीकोट चढ़ा लिया. ससुर के सामने अपने सुन्दर कमनीय पैरों को प्रत्यक्ष कर दिया. ससुर की नज़रें बहु के घुटनों के स्तर पर थीं."बेटी दूसरा पैर मेरे कंधे पर रख लो." ससुर ने बहु के गुप्तांगों का निरिक्षण करने की व्यवस्था की. सुनीता ने ऐसा ही किया और अपने पेटीकोट के अन्दर का बहुमूल्य रहस्य सुगम्य बनाया.सुर की आँखें आनंदित हो गईं. बहु की मोटी गोश्तदार नंगी रानें आखिरकार खुल गई थीं. बीच में बालहीन चूत का नज़ारा दिख रहा था. सुनीता बार-बार पीछे मुड़ के देख रही थी की चुन्नू कहीं बहु ससुर की काम-क्रिया देख ले."बहु चिंता मत करो, चुन्नू टी.वी. देखने में व्यस्त है. मैं देख रहा हूँ उसको, जैसे ही वो इधर आएगा मैं तुम्हें सावधान कर दूंगा." ससुर ने फुसफुसाया. वे सुनीता के पैर के नाखूनों पर शिष्टता से लाल नेल-पॉलिश लगाने लगे और खुली हुई जाँघों के बीच का आकर्षक दृश्य टकटकी लगा के देखने लगे."पिताजी मुझे पता है की आपको मेरा योनिमुख निहारने में कितना हर्ष मिलता है. मैं इनके जाने की बेताबी से प्रतीक्षा करती हूँ ताकि आपको यह ख़ुशी दे सकूँ." सुनीता ससुर से काना-फूसी कर रही थी और टांग उठा कर अपनी शेव की हुई बुर को इस निःशुल्क कामुक प्रदर्शनी में प्रकाशित कर रही थी. ससुर बहु की रमणीय बालहीन चूत देखते हुए प्रेम से उसके पैरों की सेवा कर रहे थे. साथ-साथ वे सुनीता की अंदरूनी रानें मृदुलता से मल रहे थे, पर वह बहु की बुर को स्पर्श नहीं कर रहे थे. इस खेल से सुनीता की काम वासना उत्तेजित हो रही थी."बहु, चुन्नू रहा है, जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लो." ससुर ने चेतावनी दी. सुनीता ने झट से पेटीकोट नीचे किया और ससुर बहु के पैर पर नेल-पॉलिश लगाने लगे.READ PART 2 HERE

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