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Monday, 29 June 2015

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नमिता सिंह- एक मस्त बीबी की कहानी

नमिता सिंह- एक मस्त बीबी की कहानी

 

मैं दीपक सिंह एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। मेरी उम्र 28 साल है और मैं एक गोरा स्मार्ट बंदा हूँ। मेरी लम्बाई 5 फुट 9 इंच और मैं चाक लेटी हीरो जैसी औसत बॉडी वाला लड़का हूँ।मेरी शादी एक साल पहले 23 साल की नमिता से हुई। नमिता एक बिजनेसमैन की एकलौती लड़की है। जब मैं पहली बार उसे उसके घर शादी के लिए देखने गया तो मेरे होश उड़ गये। उसके घर में सभी एकदम मॉडर्न खयालात के हैं। वो एक वेल एजु केटेड फैमिली है।मैंने देखा नमिता एक सफ़ेद शोर्ट स्कर्ट जो घुटनों से काफी ऊपर जांघो पे थी और एक पिंक स्लेव्लेस टॉप में थी, उसकी दूध से भी गोरी टांगे स्कर्ट में चमक रही थीं ।वो एकदम सॉफ्ट बॉडी मक्खन जैसी लड़की थी, स्कर्ट में उसकी उठी हुई मस्त गांड 36 की और उसके टॉप में दो उठे संगमरमरी मम्मे 36 के कयामत लग रहे थे ।उसकी कमर29 की कटावदार दिख रही थी, टॉप और कमर के बीच गोरा पेट संगमरमर सा दिख रहा था ।उसका फेस एक दम चिकना था, कोई एक सरसों के दाने बराबर भी दाग नहीं ,सॉफ्ट चिकने गाल किसी फिल्म के एक्ट्रेस जैसी उसकी सारी बॉडी और फेस था। उसकी लम्बाई 5 फुट 6 इंच थी। मैंने उसे पसंद कर लिया क्यों की उसके बॉडी और फेस जैसी ना जाने कितने एक्ट्रेस और टीवी एक्ट्रेस पे मैं बहुत मुठ मारता था। खैर हम दोनों की शादी हो गयी।सुहाग रात के दिन मेरे शरारती दोस्तों ने मुझे फ़ोन किया और मुबारकबाद दी। और साथ ही कहा की क्या मस्त माल पाया है यार भाभी को सोच के हम सभी दोस्त ग्रुप कॉन्फरन्स में फ़ोन पे बातें करके मजे ले रहे और तुम्हे इसलिए फ़ोन किये है ये बताने को की हम सब आज उसी को सोच के मुठ मारेंगे, यार....,,,,,,,........ वो मस्त एक्ट्रेस से भी ज्यदा मस्त माल है। मैंने कहा मार लो सालों मुठ इजाजत है। वो सब बहुत खुस हुए। वो सारे एक साथ कांफ्रेस फोन पे थे वो वोले भाभी जी को नमस्ते बोलना चाहते हैं? मैंने फ़ोन पे नमिता से उनसे बात करवाई बस 2 मिनट, फिर खुद फ़ोन ले लिया वो सब बोले सबके हाथ उनके लौडों पे तेजी से चल रहे मैंने हंस के गाली देते हुए फ़ोन रख दिया।मैं ये सोच के खुश था इतनी मस्त बीबी पायी है की सब मुठ मार रहे मैं भी एक्साइट हो गया था। मेरा लंड खड़ा हो गया था लेकिन मेरा लंड सिर्फ 5 इंच का और पतला था लेकिन मैंने सोचा चोदने के लिए काफी है । खैर मैंने बिस्तर पे उसे लेटी हुई देखा साडी में उसकी गांड मोटी चौड़ी साफ उभरी दिख रही थी।मैं जाके नमिता के बगल में लेट गया और साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड पे अपने हाथ रख दिया उसकी कोमल गांड मेरे हाथों में समां नहीं रही थी मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया अब उसका फेस मेरी तरफ था मैंने अपने हाथों से उसके फेस को सहलाया वो शरमाँ और मुस्कुरा रही थी उसका फेस मुलायम चिकना सुंदर लग रहा था मुझे दोस्तों की बात भी याद आ रही थी मुठ वाली ।मैंने उसके होठों को देखा वो पिंक और और होठों पे लाईने मस्त दिख रही थीं जैसे लग रहा था ये होठो की रेखाएं और गोलाईयां लंड के सुपाडे को नर्म होठों से चूसने के लिए ही बने हैं।मैंने उसके होठों को अपने होठों से जकड लिया। और एक हाथ से उसके चुतड को सहलाने लगा।फिर मैंने उसके ब्लाऊज़ के हुक खोलने सुरु कर दिया और ब्लाउज उतार दिया और नीचे साडी भी उतार दी मैं जल्दी से उसके बदन को देखना चाहता था। अब वो सिर्फ रेड ब्रा औरपैन्टी में थी ।मेरा लन्ड अब और कड़ा हो गया था। मैंने अब उसकी ब्रा एक झटके में उतार दी और कमरे में जैसे बिजली,,,,,,,,,,, कौंध उठी आह,,,,,,,,,,,, एकदम नंगी गोरी खड़ी अमीषा पटेल की जैसी मस्त,,,,, चूचियां। मेरे दोनों हाथों ने चुचियों,,,,,,,,, को जकड लिया और अपने आप चलने लगे।फिर मेरे मुहं ने उनकी तरफ रुख किया और चुचियों को ,,,,,,,,,,,,चूसने लगा मैं एकदम मस्त हो रहा था और नमिता भी अब कसमसा रही थी उसके हाथ मेरे सर को सहलाने लगे आखिर मैं उसके मम्मों को चूस रहा था ये उसकी चुचियों पे मेरा एहसान जो था जो हर लड़की महसूस करती है।फिर मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी उसकी चूत ,,,,,,,,, एकदम चिकनी थी एक भी बाल नहीं उसने शायद झांटे बनायीं थी ।मैंने अपने लंड को उसकी चूत पे रख दिया और सुपाडा डाल दिया उसने अपनी पूरी नंगी गोरी टांगे फैला,,,,,, दी मेरा लंड उसकी चूत में चला गया ।मैंने उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसकी कोमल नंगी गांड को अपने दोनों हाथो के पंजो में नीचे से लेके चोदने लगा उसका सुन्दर फेस बनने बिगड़ने लगा और उसकी फैली हुई टांगे मेरे जांघो के बाहर दिखाई दे रहीं थी उसके गोरे बोबे मेरी आँखों के सामने उछाल मार रहे थे मुझे अब दोस्तों की मुठ मारने वाली बात का और एहसास हो रहा था मैं सोच रहा था की वो सब नमिता के फेस को याद करके कल्पना में इसे नंगी करके चोदें होंगे और मुठ मारे होंगे ये सब सोच के मैं बहुत उत्तेजित हो गया और तभी अचानक मेरे लौड़े ने नमिता की चूत में पानी छोड़....... दिया। मैं सिर्फ 5 मिनट में ही झड गया। मैं उसके ऊपर से बगल में आ गया और अफ़सोस करने लगा और देखा एकदम जवान नंगी मादरजात जवानी मेरे बगल में अपनी चूत, चूची और मस्त गांड और खुबसूरत चेहरा लिए बिस्तर में पड़ा हुआ चमक रहा है।ऐसा जवान जिस्म जिसे देख के ही रोंदने की लालच हर मर्द में होती है ।23 साल की मादरजात नंगी जवानी मेरे बगल में पहली बार बचपन के बाद एक दम निर्वस्त्र बदन पे एक धागे का रेशा भी नही।खैर मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया ये जाहिर करते हुए जैसे कुछ हुआ नहीं अपनी कमी को छिपाने लगा।फिर बड़े प्यार से उसे चुमते हुए थोड़ी बात की और सो गया। करीब एक हफ्ते बाद मैं और नमिता साथ रहने दिल्ली अपने बड़े बंगले में आ गये। वहाँ मेरा मुस्लिम ड्राईवर नदीम उम्र38 नौकर वीरभान उम्र49 और नौकरानी सीमा उम्र30 मेरे साथ थे। मैं नमिता को सारे ऐशो आराम देना चाहता था। मैं नमिता को 1 हफ्ते से चोद रहा था मगर उसकी खूबसूरती के आगे 10 मिनट से ज्यदा नहीं टिक पाता था, मेरा लौड़ा झड जाता था।मगर मैं चाहता था की नमिता की चुदाई जबरदस्त तरीके से हो पर ये मेरे बस की बात नहीं थी इसलिए मैं अब सोचने लगा था की इसे 4-5 लोग दबोच के झिझोंड के रुला रुला के इसकी पूरी मस्त बॉडी रौंद रौंद के चोदें। शायद मेरा छोटा लौड़ा और चोदने की नाकामी और नमिता की बेहद खूबसूरती ही मेरे मन में ऐसे सेक्स की भड़ास नमिता के लिए आने लगे थे।वैसे भी ज्यादातर लोगों जिनकी बीबी बहुत सुन्दर हो और उनके पति ऐसे हों जिनके लौड़े और बॉडी बड़े ना हों और जल्दी झड जाते हों उनके मन में ऐसे खयालात आते हैं।खैर नमिता को मैंने सारी सुविधाएँ दी रखी थी नौकर चाकर गाड़ी और पैसे और क्युकि वो अपने घर की अकेली लड़की थी और उसके डैडी एक बड़े बिजनेसमैन थे उनके पास करोडो रुपये थे वो भी अपनी नमिता बेटी को हर महीने लाखों रूपये उसके एकाउंट में डालते थे। इसलिए खाने पीने घुमने कपडे के लिए पूरा ऐश था हम दोनों के लिए ।घर या बाहर नमिता चाहे जैसे कपडे पहनती थी मॉडर्न से लेकर साडी जो चाहे पर ज्यादतर वो स्कर्ट टॉप या जीन्स और शर्ट पहनती थी। कभी कभी वो साड़ी भी पहनती थी पर साड़ी भी एक दम मोर्डेन तरीके से नाभि के नीचे तक खुले पेट, ब्लाउज स्लेव्लेस जो पीछे से एकदम नंगी पीठ पूरी खुली,,,,,,,,, या ब्लाउज जो आगे की तरफ सिर्फ चुचियों के सहारे आगे की तरफ एक मोटी गांठ से बांधे जाते हैं और उसके नीचे ब्रा नहीं पहनी जाती।उसकी कमर तक नीची साड़ी जिसमें खुले पेट और नाभि के होल किसी को भी ये सोचने को कहते थे की साली की नाभि के गोल होल हैं साली को पटक के चोदना चाहिए।शोर्ट स्कर्ट और टॉप में वो सेक्स की सुन्दर मगर मदमस्त फ्रेश मीट और गदरायी जवानी की गुडिया लगती थी फेस से सुन्दर गुडिया मगर सॉफ्ट भरी जवानी से मस्त गदराया माल। वो जब स्कर्ट टॉप पहनती तो अन्दर ब्रा नहीं होती थी जिससे उसके मोटे बड़े मम्मे साफ पता चलते और उछलते थे। जब वो जीन्स पहनती तो गांड की पूरी गोलाई और गांड का पूरा माल पीछे से पता चलता देखने वालों को यही लगता की अभी साली की गांड से जीन्स उतार के पूरी गोरी नंगी गांड में लौड़ा पेल दूँ।इस तरह वो घर और बाहर कोई भी ड्रेस पहनती थी। क्यों की नौकरों के अलावा मैं और नमिता ही बस एक साथ रहते थे।हम लोगों का घर बडा बंगला और बहुत सुन्दर था।बंगला 3-4 स्टोरी वाला फ्लैट नुमा लेकिन बहुत बड़ा था हम लोग किसी भी फ्लोर पे खाते पीते सोते बैठते थे।सामने सर्वेंट क्वार्टर भी था पर जब हम लोग बोलते तो नौकर लोग वहां जाते वरना अकसर वो लोग हम लोगों के साथ आस पास वाले कमरे या बरामदे में सोते थे।नमिता के आ जाने से तीनो नौकर वीरभान चाचा ,नदीम और सीमा बहुत खुश थे।एक हफ्ते घरसे आने के बाद वो बंगले में हम दोनों का दसवां दिन था। नमिता घर और नौकरों से घुलमिल गयी थी।नमिता चुकि एक वेल एजुकेटेड घर से थी और ज्यादा घर से बाहर नहीं निकली थी इसलिए भोली और सभ्य थी।लेकिन वो साथ ही बहुत बुद्धिमान और समझदार थी। उस रात मैं और नमिता दस बजे अपने बालकनी में बैठे थे नमिता शोर्ट स्कर्ट और ब्रा लेस टॉप में थी बालकनी के रेलिंग पे अपनी गोरी गुदाज सॉफ्ट टांगे लम्बी करके बैठी थी फर्स्ट फ्लोरे पे हम दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे ।वहां बालकनी में पूरी तेज लाइट हम दोनों पे थी सामने सर्वेंट क्वार्टर में आज वीरभान सोया था उसने बोला था आज वो वहीँ सोना चाहता है सीमा और नदीम अलग दोनों फ्लोरे के बरामदे में शायद टीवी देख रहे थे ।तभी मेरा एक फ़ोन आ गया मैं बात करते हुए नीचे ग्राउंड में टहलने लगा और बालकनी में ऊपर देखा नमिता वहाँ बैठी रोशनी में इकदम साफ दिख रही थी मस्त माल लग रही थी। नमिता अब अपने मोबाइल में गेम में विजी लग रही थी मैं फ़ोन पे बात खतम करके पास सामने वीरभान के कमरे यानि सर्वेंट रूम के पास पहुंचा दरवाजा बंद था। मैंने बाहर से पूछा,,,,,,,,,,,, खाना खाया,,,,,,,,,,, आज यहीं सोगे क्या?,,,,,,,,, वो बोला हाँ साहब,,,,,,,,,,,, मैंने कहा -,,,,,,,,,,ओके ओके। मैं ऊपर जा रहा हूँ सोने,,,,,,,,,नीचे सब चेक कर लेना वो वोला ,,,,,,,,,,अच्छा साहब। फिर मैं अपने मोबाइल में कुछ मैसेज देखने लगा और वही लौन में एक ब्रेंच पे बैठ गया वीरभान ने समझा मैं ऊपर फ्लोरे पे चला गया 5 मिनट बाद मुझे वीरभान के कमरे से कुछ हल्की आवाजें सुनायी देने लगीं। मैं उसके रूम के पास गया वो कुछ गालियाँ बक रहा था और जोर से आह,,,,,,, ओह,,,,,,,, ऊँ,,,,,,,,,,,,, कर रहा था। मैंने साइड खिड़की के टूटे हुए होल से अन्दर,,,,,,,, देखा तो दंग रह गया,,,,,,,,,,,, वीरभान जो 49 बरस का एक बहुत विशाल मजबूत बलिष्ठ काले शरीर वाला 5फुट 7 इंच वाला जल्लाद जैसी बॉडी वाला आदमी था ,,,,,,,,,वो एक कुर्शी पर एकदम नंगा बैठा था अन्दर की लाइट जल रही थी इसलिए सब साफ़ दिख रहा था। मैंने देखा कुर्शी पर उसकी भारी मोटी मजबूत बलिष्ठ गांड हिल रही थी,,,,, मेरी नजर तभी उसके दोनों चौडी जांघो के बीच में जाके रुक गयी,,,,,,,,,,,, ओह तेरी की ……उसकी जांघो के बीच,,,,,,,,,,, खूब काली जंगली झांटे और उसके हाथ में ,,,,,,,,,11 इंच लम्वा और 3इंच मोटा जानवर जैसा विकराल विशाल खूंखार,,,,,, लौड़ा,,,,,,,,,,, एकदम लोहे की तरह सख्त तना हुआ उसके ,,,,,,,,,,लंड का सुपाडा ,,,,,,,,,,,मोटा फुला हुआ एकदम कटाव दार भरपूर मर्द वाला सुपाडा।उसकी सामने की खिड़की थोड़ी खुली थी और वो सामने देखता हुआ अपने ,,,,,,,,लौडे,,,,,, को खूब तेजी से आगे पीछे कर रहा था मैं समझ गया वो सामने बालकनी में बैठी मेरी बीबी ,,,,,,,,नमिता,,,,,,,,,,,, को देख के अपने लौड़े को चला रहा ऐसा देखते ही मेरा लंड एक झटके में ही 1 ,,,मिनट में खड़ा हो गया आज तक मुझे ऐसी उत्तेजना कभी नही हुआ थी वीरभान के लौड़े को नमिता के लिए तना हुआ और उसका हाथ चलाना मुझे मदहोश कर रहा था वीरभान का लंड तना हुआ उछाल,,,,,,,,,,, मार रहा था उसके जंगली लौड़े के आगे मेरा लंड ,लंड कहलाने लायक नही था मगर मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था उधर नमिता अपने मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त थी यहाँ नीचे अँधेरा था मगर वो बालकनी में दुधिया रौशनी मे बैठी साफ़ दिख रही थी इसीलिए वीरभान यहाँ से असानी से उसे देख के मुठ मार,,,,,,,,, रहा था मैं रूम के बाहर ग्राउंड में वीरभान के रूम में साइड वाली खिड़की से अन्दर और सामनेबालकनी में बैठी नमिता दोनों को पूरा देख सकता था और अन्दर से वीरभान सामनेथोड़ी खुली खिड़की के इकदम पास से नमिता को पूरा साफ़ देख रहा था उसके,,,,,,,,, लौडे के नीचे,,,,,,,,,,, उसकेमोटे टट्टे,,,,, एकदम गोल और कड़क थे उसके अंडू के अन्दर दो मोटे अनडे,,,,,,, साफ़ नजर आ रहे थे। वो अपना विशाल लौड़ा तेजी से अपने हाथों से आगे पीछे कर रहा था,,,,,,,,ये देख मुझसे रहा न गया ,,,,,, मैंने अपना तना हुआ लौड़ा भी अपने लोअर से एकदम बाहर निकाल के मुठ मारने लगा अपनी मोबाइल को निकाल के कैमरा चालू करके वीरभान को पूरा लंड हिलाते हुए रिकॉर्ड करने लगा और मोबाइल बीच बीच में नमिता को भी बालकनी में रिकॉर्ड करने लगा,,,,,,, नमिता का फेस कभी रिकॉर्ड करता ,,,,,, औरकभी ,,,,,,,, इधर वीरभान को लण्ड हिलाते हुए रिकॉर्ड करता ,,,,, फिर नमिता कि पुरी बॉडीरिकॉर्ड करता ,,,,,,,,.. फिर वीरभान का मुठ मारते हुए गलियां बकना।,,,,,,वीरभान एक देहाती आदमी था,,,,,,,,, वो मजबूत शरीर का था वो 6 महीने से अपने घर नहीं गया था,,,,,,, नमिता जैसी माल उसने फ़िल्मों में भी नहीं देखा था। नमिता की जवानी, उसका जिस्म और पहनावे ने और अपनी आँखों के इतने करीब ऐसा मस्त गदराया माल पाके उसके लौड़े का जानवर,,,,,,,,,,, जाग उठा था,,,,, और नतीजा,,,,,,,,, आज वो नमिता को अपनी कल्पना में जबरदस्त चोद रहा था मुठ मारते हुए।,,,,,,,,, मुझे ये देख के खूब मजा आ रहा था।उधर वीरभान अपना काला लौड़ा तेजी से खिड़की से देखते हुए ऊपर बैठी हुई नमिता पर चला रहा था,,,,,,,,,, वीरभान बक रहा था- ओह,,,,,,,,,,,, मेरी नमिता,,,,,,,,, छुई मुई.…… कोमल मस्त जवानी वाली बहु रानी,,,,,,,,,,,,, ओह साली,,,,,,,,,,,, तुझे क्या पता.…?…,,,,,,,,,, तू वहां बालकनी मे बेखबर स्कर्ट में अपनी नंगी गोरी मखन जैसी टांगे दिखा रही,,,,,, तेरी स्कर्ट के नीचे तेरी नीली चड्डी ,,,,,,,,भी हवा से दिख जा रही,,,,,,, आह,,,,,,,,,,,,, ऊँ,,,,,,,..आ,,,, साली,,,,,,,,, मेरा लौडा आज मस्ती में है ,,,,,,,साली तू मस्त माळ बहू है ।,,,,,,,,,,,,,साली मुझे तेरा टॉप दिख रहा,,,,,,,,,, तूने ब्रा नहीं पहनी तेरे मम्मे ,,,,,,,, बड़े मोटे और हिलते हुए दिखाई दे रहे जब तू झुक रही तेरी छोटी खुली टॉप से तेरेआधे मम्मे,,,,,,, बाहर दिख रहे ओह साली,,,,,,,, मजा आ गया,,,,,,,,,,, आज मस्त लौड़ा हिला रहा हूँ ।वीरभान के ये शब्द मुझे मस्त उतेजित कर रहे थे वो अपने जांघो पे एक हाथ से थपथपा के दूसरे हाथ से अपने मर्दाने लौड़े को और गति दे रहा था । जैसे लग रहा था वो अपनी आँखों से ही दूर बैठी नमिता को अपनी जांघो के बीच फुफकारते काले लौड़े पे बिठा के उसकी गोरी गाड़,,,,,,,, उछाल- उछाल,,,,,,,, के चोद रहा है।वीरभान लगातार बोले जा रहा था -,,,,,,,,,नमिता ,,,,,,,,,,,,,,तेरी जैसी मस्त जवान गर्म कमसीन लौंडिया,,,,,,,,,, मेरे मोटेलम्बे लौड़े पे उछलने के लिए बनी होती हैं,,,,,,,,,,, ओह,,,,,,,,,,,,, साली,,,,,,,,, नमिता तू ,,,,,,,,,,,चुदक्कड़,,,,,,,,,,, रंडी,,,,,,,, है ओह,,,,,,,,,,,,, मादरचोद,,,,,,,,,,,,, कुतिया,,,,,,,,,,, उछल,,,,, तेरी माँ की चूत ,,,,,,उछल,,,,,,, मेरे लौड़े पे कूद ओह,,,,,,,,,, हराम जादी,,,,,,,,,, तेरी गोरी मस्त नरम गांड,,,,,,,, एकदम मक्खन जैसी होगी ,,,,,,, आह्ह्ह्ह ,,,,,,,,, मेरे विकराल पत्थर जैसे लौड़े जब तेरी गाण्ड ,,,,,, फंस जाएगी तब तुझे पता चलेगा,,,,,,,,,,,, रंडी मादरचोद ,,,,,,,,,,, वीरभान जो शब्द नमिता के लिए बोले जा रहा था उससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसका नमिता के लिए इस तरह और सेक्सी गलियां देना मुझमे रोमांच भर रहे थे।और इसी उत्तेजना में मेरे लौड़े का माल आआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ,,,,,,,,,,, झड़ गया मैं अपने को रोक नहीं पाया तभी नमिता ने थोड़ीसी सी,,,,,,,,, अंगड़ाई ली और अपने दोनों हाथों को ऊपर किया उसके हाथ ऊपर होने से चूकि उसकी टॉप शार्ट और ढीली थी नीचे से उसकी ,,,,,,,,,,,,,चूचियों,,,,,,,,,,, के थोड़े से भाग नुमाया हो गए फिर क्या था वीर भान का,,,,,,,,,,,, लौड़ा ,,,,,,,,, फुफकार उठा वो और जोर से गालिया देने लगा,,,,,,,,,,,, ओह साली,,,,,,,,,,,,,, नमिता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, बहन की लौड़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, रंडी मादरचोद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तू जिस दिन यहाँ आई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तेरा चेहरा देख के ही मेरा लौड़ा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, मस्त हो गया था,,,,,,,,,,,,,,, तुजे मैंने नमस्ते किया और साथ ही तेरा चेहरा देखा,,,,,,,,,,,,,,,,, तो मेरा लौड़ा ,,,,,,,,,,,,,,,,खड़ा हो गया था फिर तू यहाँ घर में जो मस्त कपडे,,,,,,,,,,,,, पहन के घूमती थी मेरे आँखों में सेक्स ही उभरता रहा,,,,,,,,,, तेरी स्कर्ट में गोरी टाँगे,,,,,,,,,,,,,,,, और जांघें देख के मुझे बहुत मजा आता था,,,,,,,,,। साड़ी में तेरी मस्त,,,,,,,,,,,,, गांड पीछे से देख से देख मन करता था की तेरी साडी उठा,,,,,,,,,,,, के तेरी ,,,,,,,,,,,,,,गोरी गांड में ,,,,,,,,,,,,,,अपना ,,,,,,,,लौड़ा घुसेड़ दू ,,,,,,,,,,,,ओह साली,,,,,,,,,,,, तेरे जैसी माल,,,,,,,,,, मैंने इतने करीब से कभी नहीं देखी। वीर भान अपने लौड़े के सुपाड़े पर अपनी उँगलियों से रगड़ रहा था और हाथ अपने लौड़े पे तेजी से चलाये जा रहा था तभी नमिता शायद अपने कमरे में जाने के लिए कुर्सी से उठ ,,,,,,,,,,, खड़ी हुई और उसकी पूरी ,,,,,,,,गोरी टाँगे जांघो तक नंगी गोरी दिखने लगी ,,,,,,,,,,,,वो अंगड़ाई ली और जाने के लिए पलटी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ओह गॉड साली पूरी स्कर्ट घूम गयी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,और अब पीछे से उसकी स्कर्ट से ढकी हुई ,,,,,,,,,,,,,गांड का उभार,,,,,,,,,,,, और तंग स्कर्ट में उसकी,,,,,,,,,,,, दूधिया जन्घे मस्त चिकने दिखने लगे ,,,,,,,,,,,,,,१ मिनट के इस पल ने वीर भान की आँखों और लौड़े को मस्त कर दिया ,,,,,,,,,,,वीर भान ने एक तेज हुंकार भरी ,,,,,,,,,,,उन्न्न्न्न्न्न्न्न,,,,,,,,,,,,,,,,,, और वो तेजी से गालियां बकने लगा ,,,,,,,,,,,,,, तेरी माँ की चूत,,,,,,,,,,,,,,, साली,,,,,,,,,,,,,,,,,, नमिता,,,,,,,,, मादरचोद,,,,,,,,,,,, तेरी चूत के झांटों,,,,,,,, में अपने लौड़े का वीर्य,,,,,,,,, मोतियों की तरह बिखरा ,,,,,,,,,,,,,,दूंगा माँ की लौड़ी,,,,,,,,,,,, साली ,,,,,,,,,,,हरामजादी,,,,,,,,,,,,, कुतिया,,,,,,,,,,, ये ले ,,,,,,,,,,,तेरी मस्त चिकनी गांड में मेरे लौड़े का माल,,,,,,,,, ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,,,,,,,,,,,,, आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,,,,,,,,,,,, साली ,,,,,,,,,,,,, और फिर हुंकार भरते हुए ,,,,,,,,,उउउउउउउउउउउउउऊ ,,,,,,,,,,,,,,, उसने उसने अपने लौड़े की तेज पिचकारी,,,,,,,,,,,,,, खिड़की की दिवाल पे उछाल दी,,,,,,, उसके मर्दाने लौड़े का वीर्य,,,,,,,,, ३-४ पिचकारियों,,,,,,,,,,,,,,,,,, की धार में दीवाल पे उछाल मार के फ़ैल गया और फिर भी वीर भान का लौड़ा काले नाग की तरह अभी एक दम खड़ा था वो काफी देर तक अपने लौड़े की एक एक बूँद निकलता रहा,,,,, और अपने लौड़े को सहलाता रहा वो नमिता पे मुठ मार के काफी संतुस्ट लग रहा था उसने काफी देर तक अपने लौड़े को सहलाया और लौड़े को दुलारता रहा। मैंने अपने मोबाइल को बंद किया और तुरंत अपने कमरे कीतरफ बढ़ गया और नमिता के कमरे में आ गया।

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1 comments:

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