मेरे जैसी तकलीफ सबको हो - The Spider Penis
दुसरे दिन सुबह में ही वापस सुजन आई. भैया ऑफिस जा ही रहे थे की मैंने उनको आवाज़ दी. इस बार राजेश भैया ने मेरे लंड पर जेल लगाया और चूत को गर्म कर के मुझे दी और मैंने उसमे लंड डाला. थोड़ी देर मेरे साथ बैठे तभी ज्योति भाभी आई और भैयाको कहा की आप ऑफिस जाइये वो मेरा ख्याल रखेगी. भैया चले गए और मै चूत को हाथ में लिए बैठा था. सभी भाभियाँ अपने-अपने काम में जुट गयी. थोड़े थोड़े समय के बाद ज्योति भाभी आ कर मुझे मिल कर जाती थी. करीब एक घंटे बाद जब सुजन चली गयी तो ज्योति भाभी ने चूत में से मेरा लंड निकाल कर चूत को साफ़ करने के लिए ले गयी. ये अब रोज का हो गया था. लंड कभी भी सूज जाता था. लंड का सुजना, चूत को गर्म करके उसमे डालना और भाभियों का चूत की सफाई करना जैसे नोर्मल हो गया था.
कुछ दिन बाद सुमन भाभी की छोटी बहन रीना की शादी थी. सुमन भाभी एक हफ्ते पहले ही अपने माता-पिता के घर उनकी मदद करने चले गए थे. शादी का घर था और बहोत सारे काम थे. लड़का UK में sattled एक डॉक्टर था. शादी के बाद वो दोनों एक हफ्ते के लिए हनीमून पर गए और बाद में लड़का UK वापस चला गया. रीना एक महिने बाद जाने वाली थी. कुछ दिन रीना अपने माता-पिता के साथ रुकी और कुछ दिन बाद रीना हमारे घर रुकने के लिए आई ताकि सुमन भाभी के साथ कुछ समय बिता सके. न जाने UK जाने के बाद कब वापस आना होगा.
रीना मेरी इस बीमारी से अनजान थी पर आने के दुसरेही दिन उसको पता चल गया. मेरी बीमारी और उसके इलाज के बारे में सुनके वो भी काफी आश्चर्य चकित थी. एक बार मौका देख कर मेरे पास आई और धीरे से मुझे कहा "फिरसे जब भी ऐसा हो तो मुझे बुलाना. पर ख्याल रखना की कोई देख ना ले."
मैं बोला "क्यों?"
वो बोली "मुझे देखना है की ये सब कैसे होता है"
मुझे भला क्या एतराज होता. मै बोला "ठीक है. मैं बताऊंगा"
जाते जाते वो फिर से याद दिला गयी "पर किसी को मालूम नहीं होना चाहिए"
दुसरे दिन दोपहर को करीब तिन बजे फिरसे सुजन आई. मैंने इधर उधर देखा तो सब अपने अपने कमरे में थे. मैं रीना तो ढूंढ रहा था पर वो नजर नहीं आ रही थी. अब मुझसे और सहा नहीं गया और मैंने आर्टिफीसियल चूत को गर्म करने के लिए रखी और अपने लंड पर जेल लगाया. उतने में ही मैंने रीना को देखा. हलके से उसको आवाज़ दी और बुलाया.
देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और बोली "Oh my God!”
कुछ क्षण बाद अपने आप को संभालते हुए दौड़ी चली गयी और सुमन भाभी को कह कर आई की एक घंटे के लिए वो बाहर जा रही है और वापस मेरे कमरे में चली आई और दरवाजा अन्दर से बंध कर दिया.
पास आते ही बोली "मुझे देखना है की तुम क्या करते हो.”
मैं बोला "ठीक है. देखो मैंने अभी अभी मेरे लंड पर जेल लगाया है. अब मैं इसे ये आर्टिफीसियल चूत मैं डालूँगा.”
वो बोली "एक मिनट रुको. क्या मैं इसे छू सकती हूँ?” उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया.
मैं बोला "हाँ देखो."
उसने मेरे पुरे लंड को अपने हाथ में लिया और उसके ऊपर हाथ फिराने लगी. मेरे लंड का एक एक हिस्सा वो महेसुस कर रही थी. मैं भी उत्तेजित हो रहा था और उसकी साँसे भी तेज हो रही थी. मेरे लंड पर उसके हाथों की पकड़ धीरे धीरे मजबूत हो रही थी और मुझे दर्द हो रहा था.
मैंने उसे रोक कर बोला "मुझे अब इसमें डालना होगा. मुझे दर्द हो रहा है.”
उसने झट से अपने होश संभाले और मेरे लंड पर से अपने हाथ हटा दिए. मैंने मेरा लंड वो आर्टिफीसियल चूत में डाला और पकड़ के बैठ गया.
कुछ समय की शांति के बाद मैंने थोडा डरते हुए रीना को कहा "एक बात जाननी है.”
रीना बोली "क्या?"
मै टूटते हुए लब्जों में बोला "कया...क्या...तुम नाराज तो नही होंगी?”
रीना बोली "ना बाबा. बोलो."
मै टूटते हुए लब्जों में फिर से बोला "कया...क्या...तुम भाभी को तो नही कहोगी?”
रीना बोली "अरे बाबा किसी को नहीं कहूँगी. अब बोलो भी. मुजसे डरने की कोई जरुरत नहीं."
मैं हिम्मत करके बोला "क्या.. क्या.... ल..ल... लड़की की... वो भी.. ऐसी ही होती है?” मेरा इशारा रीना चूत की तरफ था.
रीना हंस के बोली "अरे मैंने ये artificial vajaina पहली बार देखि है. मुजे नहीं मालुम वो कैसी होती है.”
मैं बोला "पर क्या दिखने में वो ऐसी ही होती है?”
रीना बोली "हाँ. आगे का भाग तो करीब वैसा ही है"
मैं बोला "तो क्या उसमे भी लंड ऐसे ही डालते है?” फिर से मेरा इशारा रीना की चूत की और था.
वो हंस के बोली "नहीं बाबा. ऐसे नहीं डालते.”
मैं बोला "तो फिर कैसे डालते हैं?”
रीना बोली "तुम अभी छोटे हो ये सब जान ने के लिए. बड़े हो जाओगे तो अपने आप ही मालुम पड़ जाएगा.”
मैं बोला "ठीक है पर क्या तुम मुझे तुम्हारी ये चूत दिखा सकती हो?”
"चूत" शब्द सुनके उसने मेरी आँखों में देखकर बोला "ना मैं नहीं दिखा सकती. तुम बहोत छोटे हो."
मै नाराज हो के बोला "तुम मेरा लंड देख सकती हो पर मैं तुम्हारी चूत नहीं देख सकता.”
मुझे नाराज देखकर वो कुछ पल रुकी और फिर बोली "ठीक है मैं तुम्हे एक दूसरी बात बताती हूँ.”
यह कह कर उसने अपने हाथो में आर्टिफीसियल चूत को लिया और मेरे लंड को बहार निकाल कर वापस अन्दर डाला. ऐसा अन्दर-बाहर करते-करते अचानक मेरे पुरे शरीरमें एक अजीब सी लहर दौड़ गयी. मैंने दोनों हाथो से रीना के हाथ पकड़ लिए. ये मेरे लिए एक अत्यंत रोमांचक अनुभव था. कुछ पलों के लिए मेरा अपने आप पर कंट्रोल नहीं था.
मेरे शांत होने पर रीना ने कहा "ऐसा ही अनुभव लड़की की चूत में जब लंड जाता है तब होता है.”
अब मैंने उसकी चूत देखने की जिद पकड़ी. अंत में हार मान के उसने प्रोमिस किया की एक दिन वो जरुर दिखाएगी और रूम दरवाजा खोल कर चली गयी.
(क्रमशः)
कुछ दिन बाद सुमन भाभी की छोटी बहन रीना की शादी थी. सुमन भाभी एक हफ्ते पहले ही अपने माता-पिता के घर उनकी मदद करने चले गए थे. शादी का घर था और बहोत सारे काम थे. लड़का UK में sattled एक डॉक्टर था. शादी के बाद वो दोनों एक हफ्ते के लिए हनीमून पर गए और बाद में लड़का UK वापस चला गया. रीना एक महिने बाद जाने वाली थी. कुछ दिन रीना अपने माता-पिता के साथ रुकी और कुछ दिन बाद रीना हमारे घर रुकने के लिए आई ताकि सुमन भाभी के साथ कुछ समय बिता सके. न जाने UK जाने के बाद कब वापस आना होगा.
रीना मेरी इस बीमारी से अनजान थी पर आने के दुसरेही दिन उसको पता चल गया. मेरी बीमारी और उसके इलाज के बारे में सुनके वो भी काफी आश्चर्य चकित थी. एक बार मौका देख कर मेरे पास आई और धीरे से मुझे कहा "फिरसे जब भी ऐसा हो तो मुझे बुलाना. पर ख्याल रखना की कोई देख ना ले."
मैं बोला "क्यों?"
वो बोली "मुझे देखना है की ये सब कैसे होता है"
मुझे भला क्या एतराज होता. मै बोला "ठीक है. मैं बताऊंगा"
जाते जाते वो फिर से याद दिला गयी "पर किसी को मालूम नहीं होना चाहिए"
दुसरे दिन दोपहर को करीब तिन बजे फिरसे सुजन आई. मैंने इधर उधर देखा तो सब अपने अपने कमरे में थे. मैं रीना तो ढूंढ रहा था पर वो नजर नहीं आ रही थी. अब मुझसे और सहा नहीं गया और मैंने आर्टिफीसियल चूत को गर्म करने के लिए रखी और अपने लंड पर जेल लगाया. उतने में ही मैंने रीना को देखा. हलके से उसको आवाज़ दी और बुलाया.
देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और बोली "Oh my God!”
कुछ क्षण बाद अपने आप को संभालते हुए दौड़ी चली गयी और सुमन भाभी को कह कर आई की एक घंटे के लिए वो बाहर जा रही है और वापस मेरे कमरे में चली आई और दरवाजा अन्दर से बंध कर दिया.
पास आते ही बोली "मुझे देखना है की तुम क्या करते हो.”
मैं बोला "ठीक है. देखो मैंने अभी अभी मेरे लंड पर जेल लगाया है. अब मैं इसे ये आर्टिफीसियल चूत मैं डालूँगा.”
वो बोली "एक मिनट रुको. क्या मैं इसे छू सकती हूँ?” उसने मेरे लंड की तरफ इशारा किया.
मैं बोला "हाँ देखो."
उसने मेरे पुरे लंड को अपने हाथ में लिया और उसके ऊपर हाथ फिराने लगी. मेरे लंड का एक एक हिस्सा वो महेसुस कर रही थी. मैं भी उत्तेजित हो रहा था और उसकी साँसे भी तेज हो रही थी. मेरे लंड पर उसके हाथों की पकड़ धीरे धीरे मजबूत हो रही थी और मुझे दर्द हो रहा था.
मैंने उसे रोक कर बोला "मुझे अब इसमें डालना होगा. मुझे दर्द हो रहा है.”
उसने झट से अपने होश संभाले और मेरे लंड पर से अपने हाथ हटा दिए. मैंने मेरा लंड वो आर्टिफीसियल चूत में डाला और पकड़ के बैठ गया.
कुछ समय की शांति के बाद मैंने थोडा डरते हुए रीना को कहा "एक बात जाननी है.”
रीना बोली "क्या?"
मै टूटते हुए लब्जों में बोला "कया...क्या...तुम नाराज तो नही होंगी?”
रीना बोली "ना बाबा. बोलो."
मै टूटते हुए लब्जों में फिर से बोला "कया...क्या...तुम भाभी को तो नही कहोगी?”
रीना बोली "अरे बाबा किसी को नहीं कहूँगी. अब बोलो भी. मुजसे डरने की कोई जरुरत नहीं."
मैं हिम्मत करके बोला "क्या.. क्या.... ल..ल... लड़की की... वो भी.. ऐसी ही होती है?” मेरा इशारा रीना चूत की तरफ था.
रीना हंस के बोली "अरे मैंने ये artificial vajaina पहली बार देखि है. मुजे नहीं मालुम वो कैसी होती है.”
मैं बोला "पर क्या दिखने में वो ऐसी ही होती है?”
रीना बोली "हाँ. आगे का भाग तो करीब वैसा ही है"
मैं बोला "तो क्या उसमे भी लंड ऐसे ही डालते है?” फिर से मेरा इशारा रीना की चूत की और था.
वो हंस के बोली "नहीं बाबा. ऐसे नहीं डालते.”
मैं बोला "तो फिर कैसे डालते हैं?”
रीना बोली "तुम अभी छोटे हो ये सब जान ने के लिए. बड़े हो जाओगे तो अपने आप ही मालुम पड़ जाएगा.”
मैं बोला "ठीक है पर क्या तुम मुझे तुम्हारी ये चूत दिखा सकती हो?”
"चूत" शब्द सुनके उसने मेरी आँखों में देखकर बोला "ना मैं नहीं दिखा सकती. तुम बहोत छोटे हो."
मै नाराज हो के बोला "तुम मेरा लंड देख सकती हो पर मैं तुम्हारी चूत नहीं देख सकता.”
मुझे नाराज देखकर वो कुछ पल रुकी और फिर बोली "ठीक है मैं तुम्हे एक दूसरी बात बताती हूँ.”
यह कह कर उसने अपने हाथो में आर्टिफीसियल चूत को लिया और मेरे लंड को बहार निकाल कर वापस अन्दर डाला. ऐसा अन्दर-बाहर करते-करते अचानक मेरे पुरे शरीरमें एक अजीब सी लहर दौड़ गयी. मैंने दोनों हाथो से रीना के हाथ पकड़ लिए. ये मेरे लिए एक अत्यंत रोमांचक अनुभव था. कुछ पलों के लिए मेरा अपने आप पर कंट्रोल नहीं था.
मेरे शांत होने पर रीना ने कहा "ऐसा ही अनुभव लड़की की चूत में जब लंड जाता है तब होता है.”
अब मैंने उसकी चूत देखने की जिद पकड़ी. अंत में हार मान के उसने प्रोमिस किया की एक दिन वो जरुर दिखाएगी और रूम दरवाजा खोल कर चली गयी.
(क्रमशः)
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